1. समावेशन क्या है?
उत्तर:
समावेशन एक ऐसा सिद्धांत है, जो यह मानता है कि प्रत्येक बच्चा सीख सकता है और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है, यदि उसे बराबर अवसर, संसाधन, और उसकी जरूरतों के अनुसार शिक्षण वातावरण प्रदान किया जाए।
- यह सुनिश्चित करता है कि विकलांग और सामान्य बच्चे एक साथ पढ़ें और एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर सीखें।
- समावेशी शिक्षा विकलांग बच्चों को उनके साथियों के साथ पढ़ने का अवसर देती है, जिससे वे सामाजिक और शैक्षिक रूप से मजबूत बनते हैं।
2. समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
समावेशी शिक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:
- सभी बच्चों को समान अवसर मिले, चाहे उनकी शारीरिक, मानसिक या सामाजिक स्थिति कैसी भी हो।
- बच्चों को उनके सीखने की शैली और क्षमताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाए।
- बच्चों को भेदभाव और अलगाव से बचाते हुए, उनकी क्षमताओं का अधिकतम विकास किया जाए।
3. समावेशन और विशेष शिक्षा में क्या अंतर है?
उत्तर:
समावेशन:
- सभी बच्चों को एक ही कक्षा में पढ़ाया जाता है, चाहे वे विकलांग हों या सामान्य।
- शिक्षण पद्धतियां बच्चों की जरूरतों के अनुसार बदली जाती हैं।
विशेष शिक्षा:
- विकलांग बच्चों को अलग स्कूलों या कक्षाओं में पढ़ाया जाता है।
- इसमें बच्चों के लिए विशेष पाठ्यक्रम और उपकरण तैयार किए जाते हैं।
4. समावेशन का इतिहास और भारत में इसके विकास की चर्चा करें।
उत्तर:
विश्व स्तर पर समावेशन का इतिहास:
- समावेशी शिक्षा का विचार 1980 के दशक में आया।
- 1994 में सलामांका स्टेटमेंट ने समावेशन को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी।
भारत में विकास:
- 1974 में भारत ने समेकित शिक्षा कार्यक्रम (IEDC) शुरू किया।
- 1966 में कोठारी आयोग ने विकलांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में शिक्षा देने पर जोर दिया।
- 2016 में RPWD Act ने समावेशी शिक्षा को अनिवार्य बनाया।
5. समावेशन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा करें।
उत्तर:
चुनौतियां:
- स्कूलों में पर्याप्त संसाधनों और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी।
- समाज और माता-पिता में जागरूकता की कमी।
- बच्चों की जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम और ढांचे का अभाव।
- विकलांग बच्चों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
समाधान:
- शिक्षकों को समावेशी शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
- स्कूलों में सहायक उपकरण और संसाधन प्रदान किए जाएं।
- माता-पिता और समुदाय को जागरूक किया जाए।
- सरकारी नीतियों और कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए।
6. सलामांका स्टेटमेंट (1994) का समावेशन में क्या योगदान है?
उत्तर:
- सलामांका स्टेटमेंट, 1994 (UNESCO) ने यह सुनिश्चित किया कि सभी विशेष जरूरतों वाले बच्चों को सामान्य स्कूलों में प्रवेश और शिक्षा मिले।
- इसने "बाल-केंद्रित शिक्षण पद्धति" को बढ़ावा दिया।
- इसमें कहा गया कि समावेशन मानवाधिकार है और यह सभी बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक परिणाम देता है।
7. भारत में समावेशी शिक्षा के लिए कौन-कौन से कानून और नीतियां लागू हैं?
उत्तर:
भारत में समावेशी शिक्षा के लिए निम्नलिखित कानून और नीतियां लागू हैं:
- कोठारी आयोग (1966): सभी बच्चों को समान शिक्षा देने पर जोर दिया।
- RPWD अधिनियम (2016):
- 21 प्रकार की विकलांगताओं को शामिल किया।
- सभी बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार प्रदान किया।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986 और 2020): समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता दी।
- सर्व शिक्षा अभियान (2001): विकलांग बच्चों के लिए "जीरो रिजेक्शन पॉलिसी" लागू की।