शिक्षण विधियों और प्रत्यक्ष निर्देश का परिचय
1.1 शिक्षण विधियों का परिचय
शिक्षण विधियाँ वे तरीके हैं जिनका उपयोग शिक्षक ज्ञान को प्रभावी रूप से सिखाने के लिए करते हैं। जिस तरह एक काम को करने के कई तरीके हो सकते हैं, उसी तरह पढ़ाने के भी कई तरीके होते हैं। कौन-सी विधि अपनाई जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि छात्र को क्या सिखाना है और पाठ्यक्रम का उद्देश्य क्या है। कई बार, एक से अधिक विधियों का उपयोग किया जाता है ताकि शिक्षण अधिक प्रभावी हो सके।
प्रत्येक शिक्षण विधि के अपने लाभ और सीमाएँ होती हैं। एक अच्छे शिक्षक की विशेषता यह होती है कि वह बिना किसी रुकावट के एक विधि से दूसरी विधि की ओर बढ़ सके। किसी भी पाठ के लिए सही शिक्षण विधि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि:
- छात्रों की उम्र और मानसिक स्तर
- छात्रों का पहले से मौजूद ज्ञान
- पाठ का उद्देश्य और विषय-वस्तु
- समय, संसाधन और शारीरिक वातावरण
शिक्षण विधियों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. प्रत्यक्ष शिक्षण (Direct Instruction)
प्रत्यक्ष शिक्षण को "संगठित शिक्षण" या "सक्रिय शिक्षण" भी कहा जाता है। यह शिक्षक-केन्द्रित (Teacher-Centered) तरीका होता है, जहाँ शिक्षक पाठ को चरणबद्ध तरीके से सिखाते हैं और पूरी कक्षा पर नियंत्रण रखते हैं।
प्रत्यक्ष शिक्षण के शिक्षक:
- स्पष्ट शैक्षणिक लक्ष्य तय करते हैं
- निर्धारित क्रम में पाठ्य-सामग्री सिखाते हैं
- छात्रों को क्या और कैसे करना है, यह बताते हैं
- छात्रों की प्रगति पर नज़र रखते हैं और सुधार हेतु मार्गदर्शन देते हैं
प्रत्यक्ष शिक्षण की विधियाँ:
- व्याख्यान (Lecturing)
- व्याख्यात्मक शिक्षण (Expository Teaching)
- सहपाठी और वरिष्ठ छात्रों द्वारा ट्यूशन (Peer & Cross-Age Tutoring)
- कंप्यूटर का उपयोग जानकारी प्रदान करने के लिए (Use of Computer as Information Provider)
2. अप्रत्यक्ष शिक्षण (Indirect Instruction)
अप्रत्यक्ष शिक्षण में शिक्षक छात्रों को स्वयं खोज करने, समझने और निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है। यह छात्र-केन्द्रित (Student-Centered) तरीका होता है, जहाँ शिक्षक मार्गदर्शक (Facilitator) की भूमिका निभाता है।
अप्रत्यक्ष शिक्षण के शिक्षक:
- सामान्य लक्ष्य तय करते हैं, न कि बहुत सख्त लक्ष्य
- विविध प्रकार की शिक्षण सामग्री का उपयोग करते हैं
- कार्य निर्धारित कर सकते हैं, लेकिन छात्रों को स्वतंत्रता देते हैं कि वे उसे कैसे पूरा करें
- छात्रों की सहायता तभी करते हैं जब उन्हें जरूरत हो
- छात्रों को सोचने और कार्य के मूल्यांकन के लिए पर्याप्त समय देते हैं
अप्रत्यक्ष शिक्षण की विधियाँ:
- खोज आधारित शिक्षण (Discovery Instruction)
- चर्चा (Discussion)
- समस्या समाधान (Problem Solving)
- नाटक (Drama)
- प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण (Project-Based Teaching)
निष्कर्ष
एक अच्छा शिक्षक यह समझता है कि हर छात्र अलग होता है और अलग-अलग तरीकों से सीखता है। इसलिए, स्थिति और जरूरतों के अनुसार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शिक्षण विधियों का सही संतुलन बनाना आवश्यक होता है।